अधीनस्थ भाग
उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण तथा तहसील विधिक सेवा समितियां राज्य प्राधिकरण के अधीनस्थ अंग हैं। राज्य प्राधिकरण के सामान्य अधीक्षण एवं नियंत्रण के अधीन रहते हुए, उपर्युक्त अधीनस्थ अंग ऐसे कार्य करते हैं, जो केन्द्रीय प्राधिकरण तथा राज्य प्राधिकरण द्वारा निर्धारित एवं अपेक्षित हों।
उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति
विधि सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 8ए के अन्तर्गत, नैनीताल स्थित उत्तराखंड उच्च न्यायालय में उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति का गठन किया गया है। समिति का संचालन उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश द्वारा किया जाता है, जो अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है तथा मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित किया जाता है। उत्तराखंड उच्च न्यायिक सेवा से संबंधित उच्च न्यायालय का कोई अधिकारी, जो संयुक्त रजिस्ट्रार के पद से नीचे का न हो, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के सचिव के रूप में अपने कार्य करता है तथा मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित किया जाता है। उसे उसकी सेवाओं के लिए मानदेय भी दिया जाता है। उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन, लोक अदालतों का आयोजन तथा अन्य विधिक गतिविधियों/नीतियों का क्रियान्वयन करती है, जिन्हें उच्च न्यायालय स्तर पर नालसा तथा एसएलएसए द्वारा तैयार किया जाता है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
उत्तराखंड राज्य ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 9 के अंतर्गत सभी 13 जिलों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों का गठन किया है, ताकि निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान की जा सके, लोक अदालतों, विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन किया जा सके तथा यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी नागरिक को उसकी खराब आर्थिक स्थिति तथा अन्य अक्षमताओं के कारण न्याय तथा मौलिक अधिकारों को प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए अथवा अधिनियम के अंतर्गत जिला प्राधिकरण को सौंपे गए अथवा उसे सौंपे गए किसी अन्य कार्य को निष्पादित किया जा सके। जिला प्राधिकरण, जिला न्यायाधीश के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण के अधीन होता है, जो इसके पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है तथा पद के आधार पर नियुक्त किया जाता है। राज्य प्राधिकरण, जिला प्राधिकरण के अध्यक्ष के परामर्श से सिविल जज (वरिष्ठ श्रेणी) या उनकी अनुपस्थिति में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, जैसा भी मामला हो, के संवर्ग के किसी व्यक्ति को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का सचिव नियुक्त करता है तथा मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से राज्य प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानदेय राशि का भुगतान उसे किया जाता है।
तहसील विधिक सेवा समितियां
विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 11ए के अंतर्गत राज्य में तहसील विधिक सेवा समिति का गठन किया गया है, जिसमें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से सरकार द्वारा नामित अन्य सदस्यों की संख्या शामिल होती है, जो निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करती है, तहसील स्तर पर लोक अदालतें, विधिक साक्षरता शिविर आयोजित करती है तथा ऐसे अन्य कार्य करती है, जो जिला प्राधिकरण अधिनियम के अंतर्गत उसे सौंपे। तहसील समिति, समिति के अध्यक्ष तथा जिला प्राधिकरण के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण तथा निर्देशों के अधीन कार्य करती है। तहसील में पदस्थ एक कनिष्ठतम न्यायिक अधिकारी समिति के सचिव के रूप में कार्य करता है। यदि ऐसा कोई न्यायिक अधिकारी तैनात नहीं है या केवल एक न्यायिक अधिकारी तैनात है, तो संबंधित तहसील का तहसीलदार अपने कर्तव्यों के अतिरिक्त समिति के सचिव के रूप में भी कार्य करता है।